हमारा इतिहास
इस विशाल और जटिल देश में पैदा हुए हर बच्चे को जीवन की सर्वोत्तम शुरुआत, उसे अपनी पूरी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने और विकास का अवसर सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ भारत सरकार के साथ काम करने के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है |
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संगठन ने 1949 में तीन स्टाफ सदस्यों के साथ भारत में अपना काम शुरू किया और तीन साल बाद दिल्ली में एक कार्यालय स्थापित किया। वर्तमान में, यह 16 राज्यों में भारत के बच्चों के अधिकारों की हिमायत करता है।
1949- भारत का पहला पेनिसिलिन प्लांट स्थापित
भारत का पहला पेनिसिलिन उपकरण पिंपरी में स्थापित किया गया। यूनिसेफ ने उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान की और यह ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल सेक्टर में पहला सार्वजनिक उपक्रम था।
1954 - श्वेत क्रांति: एक शुरुआत
1940 में कैरा संघ (अमूल), एक दुग्ध सहकारिता, के सामने एक समस्या आयी | उनका अतिरिक्त दुग्ध बिक नहीं रहा था | हज़ारों दुग्ध उत्पादकों का जीवनयापन संकट में था | श्वेत क्रांति के जनक, महान डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने यूनिसेफ और अन्य को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि भैंस के अतिरिक्त दूध को पाउडर में बदला जा सकता है |
1954 में यूनिसेफ ने भारत सरकार के साथ आरे और आनंद में दूध प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना हेतु आर्थिक मदद के लिए समझौता किया | इसके माध्यम से उस क्षेत्र के ज़रूरतमंद बच्चों को निःशुल्क या रियायती दर पर दूध उपलब्ध कराया जायेगा | एक दशक के अन्दर, भारत में यूनिसेफ सहायित 13 दूध प्रसंस्करण संयंत्र थे | आज, भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है |
1954 - भारत का पहला डीडीटी प्लांट स्थापित किया गया
भारत का पहला डीडीटी प्लांट भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में आपूर्ति के लिए स्थापित किया गया | इस प्लांट की स्थापना यूनिसेफ द्वारा प्रदान किये गए उपकरणों से की गयी |
1966 - बिहार का सूखा
1966 की गर्मी में, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश ने इस क्षेत्र में 20 वीं सदी के सबसे भयानक सूखों में से एक का सामना किया | लगभग 6 करोड़ लोग खाने और पानी की ज़बरदस्त कमी से पीड़ित थे |
प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आह्वान पर यूनिसेफ ने सरकार के सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयासों को तेज करने के लिए खुदाई की मशीनें उपलब्ध करायीं | एक निश्चित समय में, आकस्मिक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया ये कार्यक्रम विस्तृत रूप ले कर राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम बन गया जिसमे यूनिसेफ एक प्रमुख भागीदार था |
1960 – विज्ञान शिक्षण
1960 के दशक की शुरुआत में भारत सर्कार और यूनिसेफ ने भारत के स्कूलों में विज्ञान शिक्षण के पुनर्गठन और विस्तार के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये | लिखने और बातें करने की जगह प्रायोगिक प्रदर्शन किट के द्वारा शिक्षण पर जोर दिया गया | इस काम में एन सी इ आर टी, यूनेस्को और यूनिसेफ ने मिलकर काम किया |
1963 व्यावहारिक पोषण कार्यक्रम
1963 में एक राष्ट्रव्यापी ग्राम आधारित व्यावहारिक पोषण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी | भारत ने यूनिसेफ द्वारा उपकरणों और अन्य सामग्रियों की सहायता के साथ यूनिसेफ और उसकी सहयोगी संस्थाओं विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं एफ ए ओ के साथ व्यावहारिक पोषण कार्यक्रम के क्रियान्वयन के एक मास्टर प्लान पर हस्ताक्षर किया |
1970 – जल क्रांति
1970 के दशक में यूनिसेफ विश्व के सबसे बड़े जल आपूर्ति कार्यक्रम में भारत सरकार का सहयोगी बना | यूनिसेफ ने कड़ी चट्टानों में खुदाई करने लायक खुदाई मशीने मंगाई | सरकार ने हैण्डपम्पों की आपूर्ति की | एक समस्या आई | सरकार द्वारा एकल परिवारों के प्रयोग के लिए बनाये गए हैंडपंप 500 से ज्यादा के समुदाय द्वारा प्रयोग लायक नहीं थे | भारत में स्थानीय रूप से बने मज़बूत और आसन रख-रखाव वाले हैंडपंप की ज़रुरत थी |
इसआवश्यकता के चलते विश्व के सर्वाधिक प्रसिद्ध इंडिया मार्क II हैंडपंप का विकास हुआ | यूनिसेफ सरकार के मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन और रिचर्डसन एंड क्रुडास, भारत सरकार की एक इंजीनियरिंग कंपनी के साथ मिलकर इंडिया मार्क II बनाने पर काम किया, लेकिन इस कहानी की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई जहाँ शोलापुर पंप पहले से ही प्रयोग किये जा रहे थे | ये पंप मज़बूत थे और अच्छी इंजीनियरिंग से तैयार किये गए थे और ये इंडिया मार्क II की डिजाईन का आधार बने |
इंडिया मार्क II और इंडिया मार्क III आज दुनिया के 40 देशों को निर्यात किये जाते हैं |
1975 – एकीकृत बाल विकास सेवा (आई सी डी एस)
छः वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार के लिए सरकार ने एकीकृत बाल विकास सेवा (आई सी डी एस) योजना प्रारंभ की | आज इस योजना से 4 करोड़ से अधिक बच्चे लाभान्वित होते हैं |
1983 – गिनी कृमि उन्मूलन कार्यक्रम
गिनी कृमि से होने वाली तकलीफदेह बीमारी से छुटकारा पाने के लिए यूनिसेफ ने भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम में अपने सहयोग दिया | यह परियोजना ऑपरेशन द्वारा गिनी कृमि निकलने की पद्धति शुरू करने में सहायक साबित हुई जो पहले भारत में और उसके बाद पूरे विश्व में स्वीकार की गयी | 2000 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को गिनी कृमि मुक्त घोषित किया |
1985 – राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान
यूनिसेफ ने प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में अपना सहयोग दिया | 1990 के अंत में भारत ने घोषित किया कि देश में एक वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण 80% से ऊपर हो गया |
1989 – महिला समाख्या – महिलाओं की समानता हेतु शिक्षा
1989 में शुरू किया गया महिला समाख्या (अर्थात महिलाओं की समानता हेतु शिक्षा) आज बिहार सहित 9 राज्यों के 60 से अधिक जिलों, 12000 गांवों में सक्रिय है, जहाँ यूनिसेफ और महिला समाख्या लम्बे समय से सहयोगी रहे हैं |
1991 – आयोडीन अभाव विकार
1990 से भारत सरकार, यूनिसेफ, अन्य संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों साथ मिल्क आयोडीन युक्त नमक को प्रोत्साहित करने के लिए साथ मिलकर काम करते रहे हैं जो कि आयोडीन अभाव विकार रोकने का सर्वोत्तम तरीका है | आज भारत में 2 करोड़ 60 लाख नवजात शिशुओं में से 1 करोड़ 40 लाख बच्चे आयोडीन की कमी से दिमाग को होने वाले नुकसान से सुरक्षित हैं |
1999 – ओडिशा सुपर साइक्लोन
ओडिशा के तट पर ‘सुपर साइक्लोन’ से लगभग 10,000 लोगों की मौत हुई | अनेकों संस्थाओं ने राज्य सरकार की मदद की जिसमे यूनिसेफ द्वारा 1 करोड़ 70 लाख बच्चों के लिए समन्वित राहत अभियान भी शामिल है |
2001 – दुलार परियोजना
यूनिसेफ के सहयोग से बिहार और झारखण्ड की सरकारों द्वारा चुने हुए जिलों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु और ख़राब मातृत्व स्वास्थ्य को रोकने के लिए दुलार परियोजना प्रारंभ की गयी |
2001 – गुजरात भूकंप
गुजरात भूकंप से लगभग 30 लाख बच्चे सीधे प्रभावित हुए थे | 12000 स्कूलों की या तो नुकसान पहुंचा या वे पूरी तरह नष्ट हो गए | नयी तकनीकों और तरीकों से यूनिसेफ ने शिक्षा व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में सहयोग किया |
2003 – शिशु दुग्ध विकल्प
1992 के विद्यमान कानून को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से 2003 में लाया गया शिशु दुग्ध विकल्प, दूध पिलाने की बोतलें और शिशु आहार संशोधन अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कदम का यूनिसेफ और अन्य सहयोगियों द्वारा स्वागत एवं प्रोत्साहन किया गया |
2004 – सुनामी राहत
सुनामी से भारत में 12,400 लोगों की मौत हुई | इनमे से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे | यूनिसेफ ने बच्चों पर केन्द्रित सेवाओं का स्तर आपदा के पहले के स्तर से ऊपर ले जाने के लिए कार्य किया |
2005 – आनंदपूर्ण शिक्षा
1991 से आनंदपूर्ण शिक्षा स्कूल और क्लासरूम शिक्षा व्यवस्था बदलने में एक सशक्त अवधारणा के रूप में आगे आया है | चाहे वह कर्नाटक के नल्ली कल्ली में हो, या उत्तर प्रदेश के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो या अन्य कहीं यूनिसेफ ने आनंदपूर्ण शिक्षा को अपने समर्थन दिया है |
2011 – जनगणना सहयोग
2011 की जनगणना के लिए प्रशिक्षण एवं संचार रणनीति में लैंगिक मुद्दों को मुख्यधारा में समाहित किया गया | जनगणना में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग में यूनिसेफ के योगदान के रूप में इसके माध्यम से 27 लाख संगणकों एवं पर्यवेक्षकों को अलग-अलग आंकड़े एकत्र करने में मदद मिली |
2012 – पोलियो अभियान
2008 में 559 मामलों से घटकर 2012 में भारत में पोलियो को कोई भी मामला नहीं बचा | सरकार ने यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रोटरी इंटरनेशनल और रोग नियंत्रण एवं बचाव केन्द्रों के साथ मिलकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण सम्बन्धी जागरूकता के लिए य्यापक अभियान चलाया | इसके परिणामस्वरुप 2014 में भारत का नाम महामारी वाल देशों की सूची से निकाल दिया गया |
2013 – मातृत्व मृत्यु दर (एम एम आर) में कमी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के द्वितीय चरण में यूनिसेफ के सहयोग के परिणामस्वरूप संस्थागत एवं सामुदायिक मातृत्व सम्बन्धी, नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच बढ़ी | इसके कारण मातृत्व मृत्यु दर 2004 – 06 में 254 से घटकर 2011 – 13 में 167 रह गयी तथा शिशु मृत्यु दर 2001 में 66 से घटकर 2013 में 40 रह गयी | फरवरी 2013 में भारत ने पांच वर्ष से कम की मृत्युदर घटने के लिए कार्रवाई का आह्वान किया | इस आह्वान ने राज्य सरकारों, विकास सहभागियों जैसे यूनिसेफ, गैर सरकारी संगठनों, कॉर्पोरेट सेक्टर और अन्य महत्वपूर्ण भागीदारों को एक छतरी के नीचे ला दिया जिससे बच्चों की जीवन रक्षा के प्रयासों में समन्वय के साथ गति ली जा सके |
2013 – मातृत्व एवं बाल पोषण हेतु संचार अभियान
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नवम्बर 2012 में बच्चों के पोषण संवर्धन हेतु यूनिसेफ के राजदूत एवं प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान के साथ मिलकर सफलता पूर्वक मातृत्व एवं बाल पोषण पर एक राष्ट्रीय संचार अभियान की शुरुआत की | विभिन्न संचार माध्यमों के साथ 18 भाषाओँ में ये देश के सबसे बड़े जनसेवा अभियानों में से एक था |
2014 – भारत नवजात कार्य योजना का शुभारम्भ
इस क्षेत्र में अपने तरह की पहली, ये कार्य योजना नवजात शिशुओं के लिए विद्यमान कारवाई के लिए आह्वान, आर एम एन सी एच + ए (प्रजनन, मातृत्व, नवजात, शिशु स्वास्थ्य + किशोर) रणनीतिक फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ऊपर आधारित है और ये बच्चों की मृत्युदर कम करने के साथ साथ निमोनिया और डायरिया पर केन्द्रित स्वास्थ्य मंत्रालय के विभिन्न पहल का एक भाग है | इसका उद्देश्य 2030 तक नवजात मृत्युदर और मृत्जन्म दर को एकल अंक में लाना है |